Tuesday, June 7, 2011

अंबानी के शाही महल पर विवादों का साया !

         वक्फ बोर्ड के ज़मीन पर खड़ी है एंटीलिया ?
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयर मैं मुकेश अंबानी के एक अरब डालर से भ़ी ज़्यादा खर्च से बने 27 मंजिला शाही महल एंटीलिया से विवादों का साया हटता नहीं दिख रहा है | अभी हाल ही में रतन टाटा ने मुकेश के शाही महल पर उंगली उठाई थी कि अब केंद्र सरकार ने कथित रूप से एंटीलिया का निर्माण वक्फ बोर्ड की ज़मीं पर किए जाने की मामले की सी.बी.आई. जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार से सिफारिश की है | पीएमओ ने अल्पसंख्यक मामले के मंत्रालय से इस बारे में रिपोर्ट माँगी थी कि क्या महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के पूर्व सीईओ को इस ज़मीन के सौदे का विरोध करने के लिए "परेशान" तो नहीं किया जा रहा है | पीएमओ की इस पत्र के बाद सरकार ने राज्य सरकार से मामले की सीबीआई जांच के लिए कदम उठाने की सलाह दी है | 
         महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के एक सदस्य का कहना है कि एक मई 2008 को अल्पसंख्यक मामलों के तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री ए.आर.अंतुले के पास एक लिखित शिकायत की थी | जिसमें उन्होंने कहा था कि एंटीलिया का निर्माण वक्फ बोर्ड की 4532 वर्ग मीटर ज़मीन का अवैध तरीके से अधिग्रहण कर किया जा रहा है | उस सदस्य का तो यहाँ तक आरोप है कि महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड ने ज़मीन को 2003 में महज़ 21 करोड़ 50 लाख रूपए में एंटीलिया कामर्शियल को बेंच डाला, जबकि इसकी उस वक्त खुले बाज़ार में कीमत 500 करोड़ रूपए से कम नहीं थी | आदर्श हाउसिंग सोसायटी का मामला सामने आने के बाद सीवीसी ने एंटीलिया का निर्माण वक्फ बोर्ड की ज़मीन पर किये जाने की शिकायत को संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा है |
         रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की ओर से शिकायतकर्ता एडवोकेट अहमद खान पठाण के उस दावे को सिरे से खारिज किया गया है | जिसमें उन्होंने अंबानी का शाही महल वक्फबोर्ड की ज़मीन पर बने होने का दावा किया है | रिलायंस ने कहा है कि इस ज़मीन को खरीदते समय मालिक को उचित मुआवजा दिया गया है और एंटीलिया का निर्माण महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड की ज़मीन पर नहीं हुआ है | आलीशान 27 मंजिला एंटीलिया दक्षिण मुम्बई के पास कोलाबा इलाके के अल्टामांट रोड पर स्थित है | गौर तलब है कि 570 फीट ऊंची एंटीलिया करीब चार लाख वर्ग मीटर में बनी है | आकार में इस घर का दायरा मुम्बई के करीब 500 बेडरूम फ़्लैट के बराबर है | इमारत में तीन हैलीपैड, और 160 वाहनों के लिए अंडरग्राउंड पार्किंग की भ़ी व्यवस्था है |
         इसमें चार लाख वर्ग फूट से ज्यादा की जगह है, इसमें व्यायामशाला, योगशाला, डांस स्टूडियो, बालरूम, अतिथियों के कमरे, 50 - सीटों वाला फिल्म थियेटर, तीन हैलीपेड और कोई 160 गाड़ियों के लिए अंडरग्राउंड पार्किंग भ़ी है | एंटीलिया में 9 लिफ्टें लगी हैं | जिनमें से दो अंबानी परिवार के लिए हैं | जबकि दो पार्किंग इलाकों के लिए, तील लिफ्टों का इस्तेमाल मेहमानों के लिए है | इसके बालरूम में शीशों के झाड-फानूस लगे हैं | जिनसे छत की 80% जगह भरी हुई है | यहाँ एक मंच भ़ी है | जहां से भाषण दिए जा सकते हैं | पीछे एक प्रोजेक्टर स्क्रीन है | एक कमरा कला, चित्रों आदि के लिए है | मकान का रसोई घर इतना विशाल है कि इसमें कई सौ लोगों के लिए खाना बनाया जा सकता है | एक पत्रिका के अनुसार मुम्बई की गर्मी से बचने के लिए 'आईस रूम' भ़ी है | जहां बर्फ का मजा लिया जा सकता है | कोशिश की गई है कि मकान गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रहे | कहा जा रहा है कि भीतरी सजावट के लिए अमेरिका की डिजाईनर कम्पनी की मदद ली गई थी | लेकिन सजावट पर भारतीय प्रभाव है | यही नहीं ये मकान वास्तु के आधार पर बनाया गया है |
                                                                                                       मुनीर अहमद मोमिन                                                        

Friday, June 3, 2011

गांधी के नाम को शर्मसार करता एक गांधी !

             इरादा था दीपिका संग सात फेरे लेने का
         राष्ट्रपिता के नाम से मशहूर महान आत्मा मोहन करमचन्द गांधी, जिनके बदौलत देश को आजादी हासिल हुई | एक सर्वथा संत चरित्र, ऐसा कि देश से कहीं अधिक विदेशों में आदरणीय, सम्माननीय और अनुकरणीय | वे गुजरात से थे | एक और हाईटेक गांधी भ़ी गुजरात से ही है अभय | अपने नाम के तरह ही अभय, निर्भय होकर दस हज़ार से अधिक लोगों को पांच हज़ार करोड़ का चूना लगाकर देश से फुर्र हो गया | इसीलिए कहा जाता है कि अजी ! नाम में क्या रखा है | अगर नाम-राशि में कुछ होता तो ओबामा और ओसामा के आलावा राम और रावण तथा कृष्ण और कंस समराशि ही थे | लेकिन गुण-धर्म व आचरण में असीम/अनंत विषमता | इस तरह इस अभय गांधी नामक जीव के पांच हज़ार करोड़ रूपए के महाठगी का पर्दाफाश हुआ है |
         अभय करीब ७,५०,००० करोड़ रूपए की ठगी करने के इरादे से लाखों लोगों से धोख़ा-धड़ी कर रहा था | उसका इरादा शार्टकट में अरबपति बनकर मशहूर फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण से विवाह रचाने का था | अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने इस महाठग अभय गांधी के बारे में सूचना मिलने पर छापे मारे | जिनमें साढ़े चार करोड़ रूपए की नकदी उसके बैंक खातों से बरामद की गई, लेकिन अभय गांधी को पहले ही इसकी जानकारी मिल चुकी थी | अतः वह अपनी परिवार वालों के साथ देश छोड़कर संभवतः ब्रिटेन भाग गया है | उसने दस हज़ार से अधिक लोगों को एक लाख रूपए के निवेश पर एक लाख ६० हज़ार रूपए या हर महीने १० हज़ार रूपए देने का लालच देकर ठगा | 
         प्रांभिक जानकारी के अनुसार पांच हज़ार करोड़ रूपए का चूना उसने लगाया है | कुछ जानकारों ने यह राशि पांच सौ करोड़ बताई है | वह दुनिया के टॉप टेन अमीरों में शुमार होना चाहता था | फिलहाल पुलिस इस घोटाले की गहराई व तेज़ी से जांच करने में जुटी है | जिससे कई बड़ी हस्तियों के भ़ी बेनकाब होने की उम्मीद है | महाठग डा. अशोक जडेजा के बाद अब गुजरात में अभय गांधी नामक व्यक्ति के ठगी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है | इसकी विधिवत शिकायत मिलने के बाद पुलिस सक्रिय हो गई है | अब तक की कार्रवाई में पुलिस ने अभय के बैंक खातों से साढ़े चार करोड़ रूपए की नकदी जप्त की है | उसकी हरकतों का खुलासा अप्रैल में ही हो गया था | लेकिन मामला दर्ज़ न होने के कारण पुलिस ज्यादा नहीं कुछ कर पाई थी | इसका फायदा उठाकर गांधी अपने परिजनों के साथ देश छोड़कर भाग गया |
         अब यत्र, तत्र और सर्वत्र अभय द्वारा गुजरात के हज़ारों निवेशकों को स्कीम का झांसा देकर ५,००० करोड़ रूपए का चूना लगाने की बात कही जा रही है | अभय की एआईएसई कैपिटल मैनेजमेंट कम्पनी केवल अहमदाबाद ही नहीं बल्कि खेडा, नाडियाद, आणन्द एवं बड़ोदरा सहित राज्य के कई हिस्सों में सक्रिय थी | इसके जाल में दस हज़ार से अधिक लोगों का पैसा फंसने की आशंका है | जानकारी के मुताबिक़ अभय ने दो स्कीमें चला रखीं थी | इनमें एक - एक लाख रूपए पर प्रतिमाह १५% ब्याज और कुछ महीने में एक साथ एक लाख ६० हज़ार रूपए देने की स्कीमें शामिल हैं | वह १५ हज़ार करोड़ या साढ़े सात लाख करोड़ रूपए की काली कमाई करना चाहता था |
                                                           मुनीर अहमद मोमिन        

Thursday, May 26, 2011

देश का तकरीबन 73 लाख करोड़ कालाधन बाहर ?

         दो साल में 30 हज़ार करोड़ रूपए की वसूली !

         आयकर विभाग द्वारा पिछले दो सालों में की गई छापेमारी में ३० हजार करोड़ रूपए की की गई काले धन की वसूली निश्चय ही एक बड़ी उपलब्धि मानी जानी चाहिए | सेंट्रल बोर्ड आफ डाइरेक्टर टैक्सेस (CBDT) के अध्यक्ष सुधीर चन्द्रा का यह दावा सरकारी अंधेरगर्दी में कहीं तो यह एहसास दिलाता है कि कुछ काम भ़ी हो रहा है | चंद्रा के अनुसार हर छापेमारी में करीब सौ करोड़ रूपए का काला धन मिला | स्पष्ट है कि देश में इससे बहुत ज्यादा काला धन है | जैसे घोड़ा व्यवसायी व टैक्स चोर ब्लैक मनी मेकर हसन अली से वसूली आखिर कहीं न कहीं तो भारत में ही उसके सोर्सेज़ रहे होंगे | जिनसे समय पर उनके द्वारा एकत्र काली संपत्ति व काले धन की कुछ मात्रा में ही सही वसूली होती है | ऐसे सैकड़ों मामले हो सकते हैं | क्योंकि स्विस व विदेशी देशों में ७२ लाख ८० हजार करोड़ रूपए भारतीयों के जमा बताए गए हैं | हर साल जीडीपी या सकल घरेलू आय की ५% रकम हवाला या अन्य माध्यम से विदेशों में जाती है | जो फिर नहीं लौटती | यानि २० वर्षों में एक पूरे साल की जीडीपी विदेशों में चली जाती है | 
         वर्तमान जीडीपी के अनुसार यह लगभग ढ़ाई लाख करोड़ रूपयों से अधिक है | और यहाँ तक है कि जब पिछले तीन सालों में अमीर उद्योगपतियों को चार लाख करोड़ रूपए अधिक की टैक्स छूट दी गई | ऐसे अमीरों द्वारा बैंक के भ़ी ५० हज़ार करोड़ रूपए से अधिक डूबोए गए हैं | हर साल ५० हजार करोड़ रूपए से ८० हजार करोड़ रूपयों की ब्लैक मनी बनती है | यह एक पुराना अनुमान है | जो अब तक दुगुनी हो चुकी है | देशभर में कितनी ब्लैकमनी है यह बता पाना मुश्किल है | इसी अनुमान के आधार पर २० देशों में १० लाख करोड़ रूपए तक की न्यूनतम ब्लैक मनी पैदा हुई है | बताया गया है कि २१ लाख करोड़ रूपए जो विदेशी देशों में जमा हुए हैं | वे आर्थिक सुधारों के बाद के हैं | मनी बचाना न सिर्फ राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था से गद्दारी व क़ानून की नज़र में अपराध है, बल्कि यह मानवीय दृष्टी से भ़ी भयानक क्रूरता है | क्योंकि इससे करोड़ों लोग गरीब, बेकार, अशिक्षित व अकालग्रस्त होते हैं | सुविधाओं का अभाव होता है | विकास योजनाएं रूकती है और भ्रष्टाचार पनपता है | ब्लैक मनी एक न एक साथ कई तरह की भार करती है | जैसे बच्चों का दूध, शिक्षा व दवा का भ़ी हक़ छीन लेती है | हमारे देश में यह वर्ग विभाजन करती है | इसी के कारण राजनैतिक रूप से भारी भ्रष्टाचार पैदा होता है | 
         चुनाव में काले धन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है | अतः चुनाव ही भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन जाता है | चुनाव में हुआ खर्च उम्मीदवारों के लिए इन्वेस्टमेंट की तरह होता है | जिसे वे जीत के बाद कई गुनी रकम व सम्पत्ति के रूप में वसूलते हैं | राजनीति काली कमाई का शार्टकट है | यही कारण है कि राजनीति सेवा नहीं मेवा या बिना काम किए अमीरी का माध्यम बन गया है | अब राजनीति भ़ी कैरियर बनती जा रही है | आज़ादी के बाद के २५ वर्षों में वे लोग जो आज़ादी, देशभक्ति और देश सेवा से प्रेरित होते थे | वह पीढ़ी ही जैसे चली गई | त्याग व समर्पण का अभाव हो गया है | वर्ष १९९०-९१ में जब डा. मनमोहन सिंह वित्तमंत्री बने और ग्लोबलाईजेशन के लिए सरकार ने रेड कारपेट बिछाए तो फिर पैसा कैरियर और व्यक्तिगत महत्वकांक्षाएँ ही प्रमुख हो गईं और काले धन के निर्माण में तेज़ी आई | यह तथ्य है कि जारी वर्ष में देश में नौ लाख करोड़ रूपयों से भ़ी अधिक का राजस्व करों के रूप में वसूला जा चुका है | अगले दो सालों में हमारा वार्षिक केन्द्रीय बचत १५ लाख करोड़ रूपए हो सकता है | मगर ब्लैक मनी का मुद्दा संतोष जनक ढ़ंग से हल होता दिखाई नहीं देता | ब्लैक मनी की चुनौती से निपटे बिना हमारी आर्थिक व्यवस्था व हमारा विकास अपंग ही रहेगा |
                                                                मुनीर अहमद मोमिन       

Wednesday, May 25, 2011

भारत में भ़ी कौमार्य की खरीद-फरोख्त चालू

  यह संक्रामक रोग देश के लिए कत्तई शुभ संकेत नहीं

         अभी जुमा-जुमा आठ दिन पहले ही तमिलनाडू में जे. जयललिता औए पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के चुन के आने बाद मीडिया से लेकर देश का  तमाम कथित बुद्धिजीवी वर्ग खूब बम-बम था कि देश में पहली बार एक साथ चार-चार मुख्यमंत्री महिला हुई हैं | इसे नारी शक्ति, महिला क्रान्ति, नारी जागरण, उत्थान, चेतना और बदलाव आदि-इत्यादि बताकर इस विषय पर विश्लेष्ण/चर्चा यत्र-तत्र-सर्वत्र चालू था | यह सच है कि आज देश में चार-चार मुख्यमंत्री महिला हैं | इससे पूर्व भ़ी राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया और मध्य-प्रदेश में उमा भारती नामक महिला मुख्यमंत्री रह चुकीं है | पूर्व में तो लम्बे अरसे तक एक महिला ही देश की प्रधानमंत्री रहीं है | केंद्र में भ़ी किसी की भ़ी सरकार रही हो हमेशा दर्जन भर महिलाएं मंत्री रहीं हैं | मौजूदा समय में तो देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति से लेकर लोकसभा अध्यक्ष तक महिला हैं | यूपीए की चेयर परसन से लेकर राष्ट्रीय स्तर की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष से और पीडीएफ जैसी क्षेत्रीय पार्टी की प्रांताध्यक्ष तक महिला है | लेकिन उससे बड़ा सच यह है कि इस दौरान महिला उत्पीडन और अत्याचार, बलात्कार व व्यभिचार का ग्राफ भ़ी तेज़ी से बढ़ा है और दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है | इससे साबित होता है कि महिलाओं को राजनैतिक अथवा संवैधानिक पदों पर महज़ बैठने या बिठा देने भर से महिलाओं की स्थितियों में सुधारात्मक परिवर्तन मुमकिन नहीं है | कम से कम बेंगलूर से आ रही खबरों के मुताबिक़ तो देश में अब कौमार्य की खरीद-फरोख्त चालू हो गई हो और यह महामारी पूरे देश में तेज़ी से पाँव फैलाती जा रही है | हो सकता है कि इस तरह का कारोबार देश के अन्य हिस्सों में भ़ी धडल्ले से चल रहा हो जो अभी प्रकाश में आने से वंचित हो |          
         देश के आई टी हब के तौर पर मशहूर बेंगलूर का एक घिनौना चेहरा सामने आया है | यहाँ पैसे की कमी के चलते बेटियों की शादी कर पाने में मजबूर माँ-बाप कुंआरी लडकियों को महज़ लाख-डेढ़ लाख में बेच देते हैं | शहर में कुआंरी लडकियों की तलाश तेज़ हो गई है | लेकिन यह दुल्हन बनने के लिए नहीं बल्कि कुछ घंटों की मौज-मस्ती के लिए | इस मामले में अभी तक पुलिस में कोई केस तो दर्ज़ नहीं हुआ है, लेकिन सेक्स वर्करों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी  संगठनों ने शहर में तेज़ी से फ़ैल रही इस बीमारी की ओर आगाह किया है | कुंआरी लडकियों पर कुछ घंटों के लिए लाख-डेढ़ लाख रूपए खर्च करना यहाँ के रईस लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखता | कौमार्य बेचने का चलन पश्चिमी देशों में एक तरह से आम है | लेकिन दलाल इसे बेंगलूर में भ़ी लोकप्रिय बनाने में जूटे हैं | इस धंधे में लगे दलालों की भ़ी कोई कमी नहीं है | यह ऐसे माँ-बाप की तलाश में रहते हैं | जिनकी बेटी शादी करने के लायक हुई है | और आर्थिक तंगी के चलते इसमें रूकावट आ रही है | ये दलाल ग्राहकों से इन माँ-बाप को मिलवाते हैं और सौदा तय हो जाता है | 
         मैजेस्टिक एरिया में काम करने वाले एक एनजीओ से जुड़े लोगों के मुताबिक़ शहर में कई ऐसी लडकियाँ हैं | जो अपनी माँ-बाप की परेशानी कम करने के लिए बिल्डरों, राजनेताओं या धन्ना सेठों के साथ चंद घंटों के लिए सोने को तैयार हैं | ऐसे में माँ-बाप जिनके पास दहेज़ देने या शादी के खर्च के लिए पैसे नहीं हैं | वे भ़ी अपनी कुआंरी लडकियों को रईसों के साथ सोने के लिए राजी करते हैं | ऐसा केवल बेंगलूर में ही नहीं बल्कि आस-पास के ग्रामीण इलाकों में भ़ी हो रहा है | शहर से सटे ग्रामीण इलाके में हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया था | यह माँ-बाप अपनी बेटी की शादी के लिए लाख सुपे जुटा नहीं पा रहे थे | ऐसे में एक दलाल ने लडकी की माँ से संपर्क किया और पैसे जुटाने का उपाय बताया | औरत ने डेढ़ लाख रूपए के लिए अपनी कुआंरी बेटी को हसन नाम के एक शख्स के साथ सोने की इजाजत दे दी | इस मामले में सबसे पहले लडकी का कौमार्य परीक्षण हुआ | फिर तय तारीख पर उस लडकी को उसकी माँ के साथ बेंगलूर से सटे एक रिसोर्ट में लाया गया | जब ग्राहक लडकी के साथ रिसोर्ट के कमरे में गया तो उसकी माँ बाहर बैठकर उसका इंतज़ार कर रही थी | घंटे भर बाद उस शख्स ने लडकी और उसकी माँ को घर भिजवाने का भ़ी प्रबंध किया | 'अस्तित्व'  नामक एनजीओ चलाने वाली एक महिला वकील का कहना है कि अधिकतर मामले में शादी का खर्च जुटाने के लिए माँ-बाप ही खासकर माताएं लडकियों को ऐसा करने के लिए बढ़ावा देती हैं | यह एक गंभीर संक्रामक रोग की तरह है, जो धीर-धीरे पूरे देश में अपना पाँव फैलाते जा रहा है |
                                                            मुनीर अहमद मोमिन
        

Tuesday, May 24, 2011

सड़कछाप मजनुओं के लिए सरकारी ससुराल का इंतजाम

      अब लड़कियों का पीछा करने वालों की खैर नहीं !

         लगता है अब देश के सडक छाप मजनूओं और इनके जुड़वे भाइयों रोड रोमियों मंडली के दिन लदने को आ रहे हैं | क्योंकि यदि राष्ट्रीय महिला आयोग की चली तो देश में लडकियों का पीछा करना अब पंजीकृत अपराध की श्रेणी में आ जाएगा | इसके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) में पृथक धारा जोड़कर सात साल तक की सजा के प्रावधान की बात कही गई है | फिलहाल लडकियों का पीछा कर उन्हें परेशान करने वालों के खिलाफ स्पष्ट क़ानून के अभाव में अपराधी बच निकलते हैं | स्कूल, कालेजों व कार्यालयों में आने-जाने वाली लडकियों और महिलाओं की सुरक्षा की लिहाज से प्रस्ताव को एक कारगर रक्षात्मक कानूनी हथियार माना जा रहा है | महिला आयोग ने प्रस्तावित यौन-उत्पीडन विधेयक में संशोधन कर नया विधेयक हाल में सरकार के पास भेजा है | 
         आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र के पास यौन-उत्पीडन विधेयक पहले ही भेज रखा है | विधेयक को धारदार बनाने के लिए इसमें संशोधन कर फिर नया विधेयक गृह मंत्रालय को भेजा है | इसमें आई. पी. सी. की धारा 509 (बी) के तहत महिलाओं पर हमला अथवा उन्हें शारीरिक या मानसिक क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से उनका पीछा करने वालों के लिए सात वर्ष तक का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान प्रस्तावित है | हाल ही में दिल्ली विश्व विद्यालय की एक छात्रा का पीछा कर एक युवक ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी | इसके बाद महिला आयोग ने दिल्ली के विभिन्न कालेजों में जन सुनवाई की थी | तब उसे लडकियों का पीछा कर उन्हें नुकसान पहुँचाने या ऐसी चेष्टा करने वालों के खिलाफ ठोस कानूनी कारवाई की जरूरत महसूस हुई | इसके मद्देनजर प्रस्तावित विधेयक में संशोधन कर गृह मंत्रालय भिजवाया गया | इस बात महिला आयोग का स्पष्ट कथन है कि हाँ, हम महिलाओं की सुरक्षा को आश्वत करना चाहते हैं | इके लिए वास्तविक यौन-उत्पीडन विधेयक में संशोधित विधेयक के आने से लडकियों और महिलाओं का पीछा करने वालों पर अंकुश लग सकेगा |     
         उल्लेखनीय बात यह है कि इसके पहले से ही प्रस्तावित महिला यौन-उत्पीडन बिल में काम-काजी महिलाओं के सन्दर्भ में प्रस्तावित इस नए क़ानून के तहत किसी भी पुरूष साथी द्वारा कार्य स्थल पर अपनी महिला साथी के साथ अप्रिय यौन आचरण, अश्लील मौखिक टिप्पणी, शारीरिक संपर्क, द्वीअर्थी बातें, छेड़-छाड़, सूक्ष्म यौन इशारे, अश्लील मजाक, चुटकुले, महिला को अश्लील साहित्य दिखाना (शाब्दिक, इलेक्ट्रानिक अथवा मुद्रित), यौन एहसान की मांग या अनुरोध, अन्य  कोई अप्रिय शारीरिक, मौखिक या गैर मौखिक क्रिया | ये सब इस नए महिला यौन उत्पीड़न के तहत आते हैं |
                                                           मुनीर अहमद मोमिन 

Monday, May 23, 2011

देखो दिल ना किसी का टूटे !

        दिल टूटने से असीमित पीड़ा : एक वैज्ञानिक शोध 
         
         प्यार वो खूबसूरत एहसास है जिसे इन्सान महसूस करना चाहे या न चाहे लेकिन हर किसी की जिन्दगी में एक दौर ऐसा आता है | जब उसे अजीब सी फिलिंग होने लगती है | लेकिन अक्सर वास्तविक जीवन में कई प्रेमी सिर्फ प्रेमी ही रह जाते हैं | वे अपने अहसास अथवा को रिश्ते में नहीं बदल पाते | मतलब शादी के बंधन में नहीं बांध पाते | कितने तो दिल टूटने के चलते बुरी तरह तबाह व बर्बाद हो जाते हैं | इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि अपने प्रेम को कांच की नाज़ुक चीज की तरह सहेज कर रखिये | क्योंकि अगर यह टूट गया तो बेहिसाब पीड़ा होती है | 
         अमेरिकी वैज्ञानिकों  का दावा है कि दिल टूटने पर चोट लगने के समान ही पीड़ा होती है | लास एंजिलिस स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, शारीरिक दर्द और सामाजिक वहिष्कार के बीच एक अनुवांशिक सम्बन्ध है | अपने अध्ययन में मानव शरीर में दर्द निवारकों को नियंत्रित करने वाले एक गुणसूत्र के स्तर को मापने वाले वैज्ञानिकों ने पाया कि मानव शरीर मानसिक तनाव के साथ ठीक उसी तरह निपटता है, जैसे वह शारीरिक दर्द के प्रति करता है | इसके लिए वह एक प्राकृतिक दर्द निवारक का स्राव करता है |
         वैज्ञानिकों का मानना है कि उनके नतीजों से ज़ाहिर होता है कि दोनों ही स्थितियों में लोगों के अनुभव एक समान होता है | अध्ययन के मुताबिक़ विकास के क्रम में सामाजिक जुड़ाव की व्यवस्था ने सामाजिक सम्बन्धों को बनाए रखने के लिए दर्द की व्यवस्था वास्तव में अपना ली होगी | प्रोफेसर नाओमी ईज़नबर्ज़र के मुताबिक़ शारीरिक दर्द के लिए प्रतिक्रिया करने के लिए ज़िम्मेदार मस्तिष्क का वही हिस्सा सक्रिय होता है जो सामाजिक वहिष्कार के समय सक्रिय होता है | इससे ज़ाहिर होता है कि हमारे मस्तिष्क को भावनाएं वास्तव में चोट पहुंचा सकती हैं |
         अध्ययन के तहत वैज्ञानिकों ने १२२ प्रतिभागियों के लार के नमूनों को एकत्र किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसमें ओपीआरएम नामक दर्द ज़ाहिर करने वाले गुणसूत्र की कौन सी किस्म मौजूद है | और वे विभिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार की प्रतिक्रिया करते हैं | ऐसा पहली बार सम्भव हुआ है, जब यह साबित किया जा सका है कि शारीरिक दर्द में शामिल होने वाले गुणसूत्र सामाजिक वहिष्कार और प्रेम सम्बन्ध टूटने जैसी  मानसिक तौर पर दर्द देने वाली परिस्थितियों से जुड़े हैं | 
                                                                                                                मुनीर अहमद मोमिन                  

Saturday, May 21, 2011

........प्रलय न आनी थी और न आई !

       प्रलय बाबत धर्मग्रन्थों के नज़रिए पर एक नज़र
         आज के दिन दुनिया सलामत है | कैंपिंग की भविष्यवाणी गलत साबित हुई | सही साबित हुआ तो केवल आम लोगों का विश्वास और वैज्ञानिकों का तर्क | बता दें कि इसाई धर्म की पवित्र पुस्तक बाइबिल के हवाले से दावा किया गया है कि २१ मई २०११ को दुनिया खत्म होने की शुरुआत हो जायेगी | यह घोषणा कैलीफोर्निया के धार्मिक प्रसारणकर्ता फैमिली रेडियो के अध्यक्ष हेरोल्ड कैंपिंग ने बाइबिल की तारीखों की गणना के बाद कहा था कि २१ मई २०११ को दुनिया के खत्म होने की शुरुआत हो जायेगी और २१ अक्टूबर २०११ तक दुनिया पूरी तरह से खत्म हो जायेगी | इस विनाश की शुरुआत न्यूजीलैंड से होनी थी | ८९ साल के कैंपिंग ने १९९४ में भी ऐसी भविष्यवाणी की थी | तब भी कुछ नहीं हुआ था और उन्होंने कहा था कि गणना में गडबडी हो गई | अमेरिका में ८६ साल पहले १९२५ में भी ऐसी ही भविष्यवाणी की गई थी | सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च के अनुयायी राबर्ट रेट ने छह फरवरी १९२५ को दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणी की थी | टाइम मैगजीन ने उस तारीख के दो दिन पहले ही बताया था कि रेट ने अपनी संपत्ति बेच दी थी |. वह तारीख आई और चली गई | अलग-अलग समय पर ऐसी भविष्यवाणियां की गईं | वैसे सुनामी, भूकंप, बाढ़ जैसी त्रासदियाँ आती रहती हैं | लेकिन इनका ऐसी भविषवाणी से कोई मतलब नहीं है | हालांकि दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणी को लेकर लोगों के मन में काफी उत्सुकता रही |
         प्रलय शब्द का जिक्र लगभग हर धर्मग्रन्थों में मिलता है | इस्लाम धर्म में भी कयामत के दिन का जिक्र है | पवित्र कुरआन में लिखा है कि कयामत का दिन कौन सा होगा इसकी जानकारी सिर्फ अल्लाह को है | इसमें भी जलप्रलय का ही उल्लेख है | एक नबी नूह अलैहिस्सलाम को अल्लाह का आदेश मिलता है कि जलप्रलय होने वाला है | एक नौका तैयार करके सभी कौम  के दो-दो मर्द औरतों को लेकर उसमें बैठ जाओ | इसी तरह बाइबिल में भी प्रलय का उल्लेख है | जब ईश्वर नोहा से कहते हैं कि महाप्रलय आने वाला है तुम एक बड़ी नौका तैयार करो, जिसमें अपने परिवार और सभी जाति के दो-दो जीवों को लेकर बैठ जाओ | क्योंकि सारी धरती जलमग्न होने वाली है | इसी तरह चीन के धार्मिक ग्रन्थ आईचिंग व द नेशनल फिल्म ऑफ़ कनाडा ने भी प्रलय संबंधी मतों को बल दिया है | लेकिन विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के प्रतीक ५१२३ वर्ष पुराने टांकरी कलेंडर ने इस बात को पूरी तरह से नकार दिया है | पुराणों के मुताबिक़ काल को चार युगों में बांटा गया है | हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तो प्रलय होती है | इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुनः निर्माण करते हैं और एक नये युग का आरंभ होता है | महाभारत में भी कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है | लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा | महाभारत के वनपर्व में उल्लेखित है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियाँ सूख जायेंगी | संवर्तक नाम की अग्नि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी | वर्षा पूरी तरह से बंद हो जायेगी | सब कुछ जल जाएगा | इसके बाद फिर १२ वर्षों तक लगातार बारिश होगी जिससे सारी धरती जलमग्न हो जायेगी | 
         नास्त्रेदेमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मैं देख रहा हूँ कि एक आग का गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, जो धरती से मानव के काल का कारण बनेगा | एक अन्य जगह  नास्त्रेदेमस लिखतें हैं कि एक आग का गोला समुद्र में गिरेगा और पुरानी सभ्यता के समस्त देश तबाह हो जायेंगे | केवल धर्मग्रन्थों में ही नहीं बल्कि कई देशों में वैज्ञानिकों ने भी प्रलय की अवधारणा को सही माना है | कुछ महीनों पहले अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों  ने घोषणा की है कि १३ अप्रैल २०३६ को पृथ्वी पर प्रलय हो सकता है | खगोलविदों के अनुसार अन्तरिक्ष में घूमने वाला एक ग्रह एपोफिस ३७०१४.९१ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा सकता है | इस प्रलयकारी भिडंत से हजारों लोगों की जान भी जा सकती है | हालांकि नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है | इसी तरह माया कैलेंडर  भी कुछ इसी तरह की भविष्यवाणी कर रहा है | साउथ ईस्ट मैक्सिको के माया कैलेंडर में २१ दिसंबर २०१२ के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है | कैलेंडर उसके बाद पृथ्वी का अंत बता रहा है | माया कैलेंडर के मुताबिक़ २१ दिसंबर २०१२ में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सारी धरती खत्म हो जायेगी | करीब २५० से ९०० इसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी | ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप  में इस सभ्यता के अवशेष भी खोजकर्ताओं को मिले हैं | 
                                                                                           मुनीर अहमद मोमिन